शायद तुमने छुआ है दिल को .....
नही तो बेवजह ही नम नही होता दिल मे छुपा वो कोना
और न ही खिलते कुछ खुबसूरत से जंगली फूल ...
फैलते जाते हैं जो बेतरतीबी से
जिन्हे ज्यादा प्यार-दुलार की जरूरत नही ....बस काफी है जमीं का भीग जाना ही ..
खंडहर सा वीरान पड़ा रहता है बरसों तक कोई दिल
जिसकी तरफ नज़र पड़ती ही नही किसी की...
फिर अचानक ही खिल जाते हैं कुछ फूल
और लगने लगता है कि
शायद अभी भी बचा है कुछ ...
शायद कुछ मौसम बचे हैं अभी ...
नही तो बेवजह ही नम नही होता दिल मे छुपा वो कोना
और न ही खिलते कुछ खुबसूरत से जंगली फूल ...
फैलते जाते हैं जो बेतरतीबी से
जिन्हे ज्यादा प्यार-दुलार की जरूरत नही ....बस काफी है जमीं का भीग जाना ही ..
खंडहर सा वीरान पड़ा रहता है बरसों तक कोई दिल
जिसकी तरफ नज़र पड़ती ही नही किसी की...
फिर अचानक ही खिल जाते हैं कुछ फूल
और लगने लगता है कि
शायद अभी भी बचा है कुछ ...
शायद कुछ मौसम बचे हैं अभी ...
अचानक ही खिल जाते हैं कुछ फूल
ReplyDeleteऔर लगने लगता है कि
शायद अभी भी बचा है कुछ ...
शायद कुछ मौसम बचे हैं अभी..
सही कहा आपने.. दिल हमेशा ऐसी नमी की तलाश में भटकता है।
So Touchy Poem Mam!
ReplyDeleteNice!
Please visit my blog...
http://jivanmantra4u.blogspot.in
Thanks...
अंतस को छूती बहुत भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteवाह ! अति मनमोहक !
ReplyDeleteAmazing poetry.. loved it. :)
ReplyDeleteaah behad khoobsurat
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