Saturday 17 September 2016

इत्ता सा टुकड़ा चाँद का...

                       
चाँद की ठोकर लगी
सारे सितारे बिखर गए ...

महक रही भीनी खुश्बू सी
किसने लगाई रात के हाथों में चाँद-सितारों की मेंहदी सी....

धूप के बिखरे रंगों को बटोर के
चाँद की कटोरी से रात में उड़ेल दें....

बची धूप के टुकड़े चलो उठा लाएँ
चाँद की आरी से सितारे बनाकर आसमान में टाँक आएँ...

इक चाँद टाँग दो रोशनी के लिए
कि आसमां से भी ऊँचे ख़्वाब हैं मेरे..

चाँद के हाथों आसमां थमा गया
समुंदर पर सर रख सूरज सो गया...

चाँद- तारों की छत तले
चंद सपने टहलने चले