आँखों में इतने अनकहे अफसाने
मगर होठों पे खामोशी लिए फिरते हो ...
ढूँढती हैं निगाहें तुम्हारी मुझे
फिर मिलने पर नज़र क्यों चुराते हो ...
यूँ तो कोई बात नही करते
फिर भी कितना झूठ बोलते हो ....
मगर होठों पे खामोशी लिए फिरते हो ...
ढूँढती हैं निगाहें तुम्हारी मुझे
फिर मिलने पर नज़र क्यों चुराते हो ...
यूँ तो कोई बात नही करते
फिर भी कितना झूठ बोलते हो ....
Thoughts so beautiful on the canvas of mind nd words pouring out :)
ReplyDeleteShukriya :)
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