Saturday 2 April 2016

तुमने सुना है कभी रात को कुछ कहते हुए ...

पत्ते सपनों के ..
कुछ खिले, कुछ मुरझाए ,
और कुछ नीचे पड़े हुए ...

एक उम्र धूप का सफ़र तय करके ...
सँवरते हैं ख़्वाब रात के 

रात का ज़रा सा काजल क्या बिखरा...
तमाम सपने टकटकी लगाए देखने लगे

आओ कुछ ख़्वाब बुने इस रात के वास्ते ..
कि सफर कटेगा आराम से 

सपनों की खिड़कियों के पर्दे सरकने लगते हैं ...
जब चाँद रात की गलियों से गुज़रता है 

उलझी उलझी रात की लटों को ...
सँवारने चले हैं सपने मेरे

इन ख़्वाबों की चाहत में...
अंधेरे भी रास आने लगे हैं हमें




1 comment:

  1. cobalt vs titanium drill bits
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