एक बार लिखना है तुम्हें..पन्नो पर ...
अनदेखे-अनजाने ही सही तुम
तो क्या हुआ ..
जो मिले नही कभी हम
यूँ लगता है ..हर पल साथ है तुम्हारा
सुना नही मैंने कभी तुम्हे
पर कानों में तुम कुछ कह कर चले जाते हो अक्सर
और मैं हँस पड़ती हूँ खिलखिलाकर ...
पास नही हो मेरे तुम
पर दुनिया जाने क्यों लगने लगी है रोशन ...
हर चीज अच्छी लगने लगी है
बेवजह की बातें भी अब प्यारी लगने लगी हैं ...
अनदेखे-अनजाने ही सही तुम
तो क्या हुआ ..
जो मिले नही कभी हम
यूँ लगता है ..हर पल साथ है तुम्हारा
सुना नही मैंने कभी तुम्हे
पर कानों में तुम कुछ कह कर चले जाते हो अक्सर
और मैं हँस पड़ती हूँ खिलखिलाकर ...
पास नही हो मेरे तुम
पर दुनिया जाने क्यों लगने लगी है रोशन ...
हर चीज अच्छी लगने लगी है
बेवजह की बातें भी अब प्यारी लगने लगी हैं ...
कोई ख्वाहिश भी नही है कि मिलें हम
सिर्फ इस एक एहसास को जीना चाहती हूँ...
बस पन्नों पर तुम्हे छूना चाहती हूँ...
सिर्फ इस एक एहसास को जीना चाहती हूँ...
बस पन्नों पर तुम्हे छूना चाहती हूँ...
You are a beautiful soul :) Very nicely penned down :)
ReplyDeleteThanks a lot :):)
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteSoul elevatg writings...Congrats
ReplyDeleteNisheet
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBahut sunder likhti hain aap
ReplyDeleteबेन्तेहा खूबसूरत सखी ... ..अक्सर सोचती हूँ .. काश तुम सी अभिव्यक्ति .. एक ठहराव मुझेमे भी हो ... काश !! आभार
ReplyDeleteआप भी बहुत अच्छा लिखती हैं संध्या
Deleteबहुत ही खूबसूरती से पिरोये गए शब्द शिखा जी
ReplyDeleteअति उत्तम
So simple and powerful. Very nice poetry. You have the fundamental quality to write poetry and that's sensitivity; ability to understand human feelings.
ReplyDeleteLiked it :)
Kya baat h .. beautiful
ReplyDeleteKya baat h .. beautiful
ReplyDeletebeautiful...
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