Wednesday 7 October 2015

लिखना है तुम्हें ...

एक बार लिखना है तुम्हें..पन्नो पर ...
अनदेखे-अनजाने ही सही तुम
तो क्या हुआ ..
जो मिले नही कभी हम
यूँ लगता है ..हर पल साथ है तुम्हारा
सुना नही मैंने कभी तुम्हे
पर कानों में तुम कुछ कह कर चले जाते हो अक्सर
और मैं हँस पड़ती हूँ खिलखिलाकर ...
पास नही हो मेरे तुम
पर दुनिया जाने क्यों लगने लगी है रोशन ...
हर चीज अच्छी लगने लगी है
बेवजह की बातें भी अब प्यारी लगने लगी हैं ...
कोई ख्वाहिश भी नही है कि मिलें हम
सिर्फ इस एक एहसास को जीना चाहती हूँ...
बस पन्नों पर तुम्हे छूना चाहती हूँ...

14 comments:

  1. You are a beautiful soul :) Very nicely penned down :)

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  2. बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्‍तुति। मेरे ब्‍लाग पर आपका स्‍वागत है।

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  3. बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्‍तुति। मेरे ब्‍लाग पर आपका स्‍वागत है।

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  4. Soul elevatg writings...Congrats

    Nisheet

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. बेन्तेहा खूबसूरत सखी ... ..अक्सर सोचती हूँ .. काश तुम सी अभिव्यक्ति .. एक ठहराव मुझेमे भी हो ... काश !! आभार

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    1. आप भी बहुत अच्छा लिखती हैं संध्या

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  7. बहुत ही खूबसूरती से पिरोये गए शब्द शिखा जी
    अति उत्तम

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  8. So simple and powerful. Very nice poetry. You have the fundamental quality to write poetry and that's sensitivity; ability to understand human feelings.

    Liked it :)

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  9. Kya baat h .. beautiful

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  10. Kya baat h .. beautiful

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