कैनवस सी जिन्दगी. ..और इस पर अपने रंग-बिरंगे ख्यालों से कुछ तस्वीरें उभारने की कोशिश
Friday 8 January 2016
Tuesday 5 January 2016
सपने ....
सपने
( आज सिरहाने के लिए )
फोटो - राहुल जैन
ये टैक्सी मैं इसलिए चलाता हूँ ताकि तुम बड़ी होकर बड़ी अफसर बनकर अपनी गाड़ी में घूमों .....
रोज सुबह बापू उसकी आँखों में सपने भर जाते लेकिन लौटती शाम वो सपने दिन में ही कहीं छोड़ आती
शराब ने पहले घर को खोखला फिर बापू को दूर कर दिया
उन आँखों में अब कोई सपना नही एक खालीपन बस गया था ...
लेकिन एक दिन माँ को सुबह तैयार देखकर आँखों में कुछ प्रश्न उभरे ..माँ मुस्कुराई ...
जा रही हूँ ...उसी गाड़ी से फिर कुछ सपने खरीदने ...
आँखों का खालीपन सिमटता जा रहा था ...सपने अपनी जगह वापस आने लगे थे
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