Thursday 26 February 2015

सहेली. .

है मेरी एक सहेली. ...
कुछ सुलझी...कुछ पहेली
हरपल साथ,
चाहे गम हो या खुशी की बात...
उसके मन की करूँ तो खुश हो जाए,
जो न करूँ तो उदास हो जाए
कभी उसका ख्याल रखूँ...कभी
अनदेखा कर दूँ...
बैठी रहती है मन के कोने में,
एक छोटी लड़की. ..
है मेरी एक सहेली. ..
कुछ सुलझी..कुछ पहेली. .

कैसा अजब ये मन है....

भावनाओं के जंगल में...
निस्तब्धता पसारे,
सूनापन है...
हैं नही किसी के पास...
फिर भी तलाश रहा..
हर दूसरे के पास,
अपनापन है....
उम्मीदों के रास्ते. ..
ख्वाबों की मंजिल तक
पहुँचने का पागलपन है...
कैसा अजब ये मन है....

सपने. ..

चाँद-तारों की छत तले...
चंद सपने टहलने चले

Monday 23 February 2015

रात


दिन की धूप में जिन ख्वाबों की चादर फट जाती है... रात उन्हें फिर से सिलने बैठ जाती है...