वक्त के बंधन में क्या मिलें,
कभी समय के परे भी तो मिलो...
रस्मो-रिवाजों की पथरीली ज़मीं है,
कभी उड़ने के लिए आसमान भी तो बनो...
उजालो में तो हर शख्स साथ देता है,
कभी अंधेरों की राह में रोशनी भी तो बनो...
हर शख्स सुनता है आवाज़ों को,
कभी मेरी खामोशियों को भी तो सुनो...
दो जहाँ की करते हैं सब बातें,
कभी सितारों के आगे भी तो चलो...
कभी समय के परे भी तो मिलो...
रस्मो-रिवाजों की पथरीली ज़मीं है,
कभी उड़ने के लिए आसमान भी तो बनो...
उजालो में तो हर शख्स साथ देता है,
कभी अंधेरों की राह में रोशनी भी तो बनो...
हर शख्स सुनता है आवाज़ों को,
कभी मेरी खामोशियों को भी तो सुनो...
दो जहाँ की करते हैं सब बातें,
कभी सितारों के आगे भी तो चलो...