Saturday 16 April 2016

निशानी


एक अजीब सी खामोशी थी घर में, उदासी भरी ...जिसे कोई भी नही चाहता ...
अचानक भाई माँ का संदूक उठा कर लाए ...धीरे-धीरे सब सामान निकालना शुरू किए ..
जिसको जो चाहिए ले सकता है ..बोले
और सामान बँटने लगा उनकी निशानी के रूप में..
तुम कुछ नही लोगी ? भाई ने पूछा मुझसे..
तुम लेने में कोई भी बेवकूफी मत करना ..पति ने फुसफुसा के कहा
"बिलकुल नही"...सोचते हुए मैंने माँ की एक पुरानी टूटी ऐनक निकाल ली
(आज सिरहाने "1 कहानी 101 शब्द " के लिए)

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