"खुशनुमा मौसम होगा ..बस हम-तुम और और हाँ शैम्पेन भी .. एक ही ग्लास में पियेंगें हम एक-दूसरे की आँखों में देखते हुए ..
पर मैं कैसे देख सकती हूँ ...
मेरी नज़र से ..."
सोचते-सोचते रिया की आँखें फिर भर आईं ..अंकित अक्सर कहता था ये..
ये सब फिर सजा रखा है तुमने ..कमरे को देखकर पूजा बोली रूममेट कम मम्मी ज़्यादा थी वो
ओहो रिया ज़िदगी में आगे बढ़ो, गुजरे कल की नजर से मत देखो आज को..
कैसे न देखूँ ..नजर तो उसी की है
रिया ने अंकित की हार चढ़ी तस्वीर को हाथों में उठाते हुए कहा
( आज सिरहाने के लिए )
पर मैं कैसे देख सकती हूँ ...
मेरी नज़र से ..."
सोचते-सोचते रिया की आँखें फिर भर आईं ..अंकित अक्सर कहता था ये..
ये सब फिर सजा रखा है तुमने ..कमरे को देखकर पूजा बोली रूममेट कम मम्मी ज़्यादा थी वो
ओहो रिया ज़िदगी में आगे बढ़ो, गुजरे कल की नजर से मत देखो आज को..
कैसे न देखूँ ..नजर तो उसी की है
रिया ने अंकित की हार चढ़ी तस्वीर को हाथों में उठाते हुए कहा
( आज सिरहाने के लिए )
Jazbaat aur ehsaasaat...dono'n hi bahut mann ko chhoone waale hain..
ReplyDeleteThank you :)
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