Thursday 26 February 2015

कैसा अजब ये मन है....

भावनाओं के जंगल में...
निस्तब्धता पसारे,
सूनापन है...
हैं नही किसी के पास...
फिर भी तलाश रहा..
हर दूसरे के पास,
अपनापन है....
उम्मीदों के रास्ते. ..
ख्वाबों की मंजिल तक
पहुँचने का पागलपन है...
कैसा अजब ये मन है....

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