कैनवस पर उभरे. ...कुछ शब्द मेरे
कैनवस सी जिन्दगी. ..और इस पर अपने रंग-बिरंगे ख्यालों से कुछ तस्वीरें उभारने की कोशिश
Monday 23 February 2015
रात
दिन की धूप में जिन ख्वाबों की चादर फट जाती है... रात उन्हें फिर से सिलने बैठ जाती है...
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