Saturday 22 August 2015

दुपहरियाँ ...

खुशनुमा दुपहरियाँ....
बड़ी याद आती हैं अक्सर ...सन्नाटे की दोपहर में
मन करता है कि लगा दूँ वो सारी दोपहरें किसी एल्बम में..
और देखा करूँ
कुछ उन पलों को याद करूँ और इस लंबे सन्नाटे को काटूँ
तुम्हारे पास भी तो होता होगा कभी दोपहर का सन्नाटा और..
कुछ अकेलापन सा ...
अगर तुम्हे चाहिए तो भेज दूँगी मैं
वो खुशनुमा दोपहरें ...
पोस्ट करके ....

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