Friday 11 December 2015

संयोग

कुछ कहानियाँ ....जो लिखी है मैंने 1 कहानी 101 शब्द में...
और शुक्रिया AajSirhaane का जिनसे लिखने की प्रेरणा और प्रोत्साहन मिला

1) संयोग
बेकार का सामान है ये माँ, इसे बाहर क्यों नही निकाल देती
पर मेरे लिए तो निशानी है बेटा ....
बस बुदबुदाकर ही रह गई माँ ....आँखों की नमी छुपाते हुए
मेरे मरने के बाद तुम बाहर कर सकते हो ....थोड़ा दृढ़ शब्दों में बस इतना ही कह पाई
.....क्या करना है इस सामान का
माँ के खालीपन का एहसास कराती जिंदगी और घर
प्रश्न इंतजार कर रहा था जवाब का
कुछ नही , माँ की निशानी है ये सब ....डबडबाई आँखों से देखते हुए कहा उसने
सामान वही था ...घर वही था ...बस संयोग से लोग बदल गये थे

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