उजाले अंधेरों में ढलने लगे हैं
ख़्वाब आँखों में पलने लगे हैं
ज़मीं ही काफी नही थी यहाँ
लोग चाँद पर चलने लगे हैं
एक उम्र धूप का सफ़र करके
रास्ते भी अब बदलने लगे हैं
चुभते हैं तमाम रोशनी के ठिकाने
चमकते सितारे भी जलने लगे हैं
आँखें कह जाती हैं सारा सच
लफ़्ज़ झूठ पर पलने लगे हैं
ख़्वाब आँखों में पलने लगे हैं
ज़मीं ही काफी नही थी यहाँ
लोग चाँद पर चलने लगे हैं
एक उम्र धूप का सफ़र करके
रास्ते भी अब बदलने लगे हैं
चुभते हैं तमाम रोशनी के ठिकाने
चमकते सितारे भी जलने लगे हैं
आँखें कह जाती हैं सारा सच
लफ़्ज़ झूठ पर पलने लगे हैं
Very beautiful :)
ReplyDeleteThank you :)
DeleteThank you :)
Deleteअति सुंदर शब्द
ReplyDeleteBeautiful
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