ये तारे इतने टिमटिमाते क्यों हैं...
न न .... नही चाहिए जवाब वो साइंस का..नीरस सा
बताइए कुछ रहस्यमयी या रोमांटिक सा..
शायद बीते वक्त के किस्से तारों में छुप जातें हैं तभी तो रात के अंधेरे अनसुनी कहानियों को सपनो में सुनाने आते हैं
या फिर ये उनकी है मुस्कान कोई ..
वो गाना है ना..चाँद खिला वो तारे हँसे..
एक प्यारी सी मुस्कुराहट .. जिससे आकर्षित होकर चाँद खींचा चला आता है
क्या आपने देखा है कभी छत पर लेट कर ...
घंटों तारों को एकटक ...
गुलज़ार साहब का वो गाना तो सुना ही होगा "तारों को देखते रहें छत पर पड़े हुए"...
अगर इसको अनुभव नही किया है तो सच मानिए..आपने बहुत कुछ छोड़ दिया है.....
वैसे आप क्या सोचते हैं ?
न न .... नही चाहिए जवाब वो साइंस का..नीरस सा
बताइए कुछ रहस्यमयी या रोमांटिक सा..
शायद बीते वक्त के किस्से तारों में छुप जातें हैं तभी तो रात के अंधेरे अनसुनी कहानियों को सपनो में सुनाने आते हैं
या फिर ये उनकी है मुस्कान कोई ..
वो गाना है ना..चाँद खिला वो तारे हँसे..
एक प्यारी सी मुस्कुराहट .. जिससे आकर्षित होकर चाँद खींचा चला आता है
क्या आपने देखा है कभी छत पर लेट कर ...
घंटों तारों को एकटक ...
गुलज़ार साहब का वो गाना तो सुना ही होगा "तारों को देखते रहें छत पर पड़े हुए"...
अगर इसको अनुभव नही किया है तो सच मानिए..आपने बहुत कुछ छोड़ दिया है.....
वैसे आप क्या सोचते हैं ?
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